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नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को यूजीसी की 6 जुलाई के गाइडलाइन को सही माना और छात्रों को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य को परीक्षा रद्द करने का अधिकार है। लेकिन स्टूडेंट बिना परीक्षा पास नहीं होंगे। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच में शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए,कहा कि यह मामला छात्रों के भविष्य और देश में हायर एजुकेशन के स्टैंडर्ड को बनाए रखने से जुड़ा हुआ है। इसलिए हम बिना परीक्षा पास किए प्रमोट करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।

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हालांकि कोर्ट ने थोड़ी राहत देते हुए यह जरूर कहा है, कि अगर राज्यों को लगता है, कि करोना महामारी को देखते हुए परीक्षा कराने में वह असमर्थ है। तो उन्हें यूजीसी से सलाह लेनी होगी। कोर्ट ने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत परीक्षाओं पर फैसला ले सकते हैं।लेकिन छात्रों के भविष्य को देखते हुए यूजीसी से सलाह लेनी होगी।
स्टूडेंट की मांग:- करोना महामारी को लेकर छात्र भी फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इंटरनल इवेल्यूशन या पिछले सालों के परफॉर्मेंस के आधार पर प्रमोट करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से किया था। जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया।इससे पहले 31 छात्रों की तरफ से केस लड़ रहे वकील अलख आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि हमारा मुद्दा यह है कि यूजीसी की कितनी लीगल है ?
हालांकि यूजीसी द्वारा जारी की गई। इस गाइडलाइन को चुनौती देते हुए। देश भर के कई छात्रों और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।इस याचिका में कहा गया था कि कोरोनावायरस के मध्य परीक्षा का आयोजन छात्रों की सुरक्षा के लिए सही नहीं है।
Report By:- Kavya Kaushik