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Bihar election 2020 बिहार में चुनावी नारों की जोर-शोर किसका लगेगा बेड़ा पार ?

Tuesday, August 25, 2020 | August 25, 2020 WIB Last Updated 2020-08-25T04:17:52Z

Bihar election 2020 opinion poll जहां एक ओर बिहार का आम जनता जनजीवन बाढ़ और कोरोना COVID-19 महामारी की वजह से भले ही संकट में फंसा हो, लेकिन सत्ता- राजनीति से जुड़ी जमातें यहां चुनावी खेल में खुलकर उतर चुकी है। आने वाली बिहार विधान सभा के गठन संबंधी चुनाव के लिए अब महज 3 महीने का समय बच गया है। निर्वाचन आयोग ने सुरक्षित तरीके से चुनाव कराने की गाइडलाइन जारी कर दी है। देखा जाए तो सभी पार्टी अपना अपना प्रचार करने में व्यस्त है। और साथ ही साथ एक-दूसरे पे टिप्पणी करने में लगे हुए हैं।

Bihar election 2020 news

अगर बात करें सत्ताधारी गठबंधन यानी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार गठबंधन की सरकार नीतीश कुमार की छवि कुछ खास नहीं लग रही है।इन 5 सालों में बिहार के लिए कुछ खास करते नजर नहीं आया है। नीतीश कुमार की सरकार अगर सिर्फ बात करें शिक्षा का या स्वास्थ्य का दोनों जगह ही असफल नजर आये हैं।

 बिहार की जनता भी इस चीज से नाराज है,वहीं दूसरी और हम अगर राजद पार्टी की बात करें। तो तेजस्वी यादव जी तो चुनावी भाषणों में तो बड़ी-बड़ी बातें करते नजर आते हैं। पर जब जनता की आंसू पोछने की बारी आती है। तब दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आते। जब बिहार बाढ़ और करोना से जूझ रहा है,तब तेजस्वी जी और तेज प्रताप जी कहीं नजर नहीं आए। देखा जाए तो इन सब के बीच पप्पू यादव बाजी मार गए हैं।वह जनता के बीच में जाकर उनके आंसू पोछे जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे। अगर बिहार की जनता का विचार जाने तो नीतीश कुमार के पक्ष में नहीं आ रही है।

[ ] किस तरह बिहार में हो रही कोरोनावायरस पर राजनीति:-

धारा 370 हटाने से लेकर राम मंदिर निर्माण तक के नुस्खे बिहार में बीजेपी के हक में कारगर होने के कोई साफ लक्षण नहीं दिख रहे हैं।

फिलहाल तो नीतीश कुमार के साथ रहने से यह बीजेपी को भावनात्मक मुद्दे का भी लाभ मिलने की गुंजाइश नजर आती है। क्योंकि जातिवाद मिटा देने जैसे कोई लहर तो बिहार में नहीं चल रही है।
चुनावी संदर्भ में ही एक और चर्चा चल रही है इनमें आरोप लग रहे हैं कि कोरोना महामारी की रोकथाम बिहारी श्रमिकों को संकट से बचाने और बाढ़ से राहत बचाव में नीतीश सरकार विफल साबित हुई है। इस कारण आने वाले चुनाव में जेडीयू को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

[ ] जीतन राम मांझी की सियासत पिछले कई वर्षों से डगमगा रही है।

वह न तो एनडीए में है, और ना ही आरजेडी कांग्रेस वाले महागठबंधन में अपने स्तर पर असंतुष्ट रख पाए। चुनावी सीटो या अन्य ख्वाहिशों के मामले में जहां-जहां बात नहीं बनी वहां वहां से खिसक लिए।

जनाधार या जनसमर्थन के मामले में भी माझी यह साबित नहीं कर पाए। कि वह जिस से जुड़ते हैं उसे चुनावी लाभ दिलाने की सियासी ताकत रखते हैं। आपको जेडीयू को इस चुनाव में एक चर्चित दलित चेहरे की जरूरत महसूस हुई होगी। इसलिए वह पिछले गिले-शिकवे भुलाकर साथ मांझी को साथ लाने का प्रयास कर रहा है।

[ ] महागठबंधन में बिखराव

[ ] जेडीयू ने इस बीच आरजेडी से तोड़कर कई विधायकों /पूर्व विधायकों को भी अपने साथ जोड़े हैं।इनमें लालू प्रसाद यादव के समधी और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के पुत्र चंद्रिका राय का नाम सबसे प्रमुख है।

[ ] चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय के साथ लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप की जो शादी हुई। वह पारिवारिक विवाद के बाद टूटने जैसी स्थिति में पहुंच चुकी है। लालू परिवार से बेहद नाराज चंद्रिका राय ने नीतीश कुमार से हाथ मिलाकर आरजेडी को सबक सिखाने का ऐलान किया है।

[ ] वैसे चिराग पासवान के विरोध तेवर को देखते हुए ,ही नीतीश कुमार ने 'हम' पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपने दल के साथ जोड़ना तय किया है। माझी ने आरजेडी कांग्रेसी और कुछ अन्य छोटे दलों के महागठबंधन से खुद को अलग कर लिया है।

[ ] बिहार में हुए दलबदल की मौसमी उछल कूद देखना दिलचस्प रहेगा। कि जनता इस बार जातीवाद को चुनेगी या जो हकदार है।उसको चुनेगी। bihar election 2020 opinion poll 

Report by :-

kavya Kaushik  Follow her on
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