Bihar election 2020 opinion poll जहां एक ओर बिहार का आम जनता जनजीवन बाढ़ और कोरोना COVID-19 महामारी की वजह से भले ही संकट में फंसा हो, लेकिन सत्ता- राजनीति से जुड़ी जमातें यहां चुनावी खेल में खुलकर उतर चुकी है। आने वाली बिहार विधान सभा के गठन संबंधी चुनाव के लिए अब महज 3 महीने का समय बच गया है। निर्वाचन आयोग ने सुरक्षित तरीके से चुनाव कराने की गाइडलाइन जारी कर दी है। देखा जाए तो सभी पार्टी अपना अपना प्रचार करने में व्यस्त है। और साथ ही साथ एक-दूसरे पे टिप्पणी करने में लगे हुए हैं।
Bihar election 2020 news
अगर बात करें सत्ताधारी गठबंधन यानी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार गठबंधन की सरकार नीतीश कुमार की छवि कुछ खास नहीं लग रही है।इन 5 सालों में बिहार के लिए कुछ खास करते नजर नहीं आया है। नीतीश कुमार की सरकार अगर सिर्फ बात करें शिक्षा का या स्वास्थ्य का दोनों जगह ही असफल नजर आये हैं।
बिहार की जनता भी इस चीज से नाराज है,वहीं दूसरी और हम अगर राजद पार्टी की बात करें। तो तेजस्वी यादव जी तो चुनावी भाषणों में तो बड़ी-बड़ी बातें करते नजर आते हैं। पर जब जनता की आंसू पोछने की बारी आती है। तब दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आते। जब बिहार बाढ़ और करोना से जूझ रहा है,तब तेजस्वी जी और तेज प्रताप जी कहीं नजर नहीं आए। देखा जाए तो इन सब के बीच पप्पू यादव बाजी मार गए हैं।वह जनता के बीच में जाकर उनके आंसू पोछे जरूरतमंदों के साथ खड़े रहे। अगर बिहार की जनता का विचार जाने तो नीतीश कुमार के पक्ष में नहीं आ रही है।
[ ] किस तरह बिहार में हो रही कोरोनावायरस पर राजनीति:-
धारा 370 हटाने से लेकर राम मंदिर निर्माण तक के नुस्खे बिहार में बीजेपी के हक में कारगर होने के कोई साफ लक्षण नहीं दिख रहे हैं।
फिलहाल तो नीतीश कुमार के साथ रहने से यह बीजेपी को भावनात्मक मुद्दे का भी लाभ मिलने की गुंजाइश नजर आती है। क्योंकि जातिवाद मिटा देने जैसे कोई लहर तो बिहार में नहीं चल रही है।
चुनावी संदर्भ में ही एक और चर्चा चल रही है इनमें आरोप लग रहे हैं कि कोरोना महामारी की रोकथाम बिहारी श्रमिकों को संकट से बचाने और बाढ़ से राहत बचाव में नीतीश सरकार विफल साबित हुई है। इस कारण आने वाले चुनाव में जेडीयू को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
[ ] जीतन राम मांझी की सियासत पिछले कई वर्षों से डगमगा रही है।
वह न तो एनडीए में है, और ना ही आरजेडी कांग्रेस वाले महागठबंधन में अपने स्तर पर असंतुष्ट रख पाए। चुनावी सीटो या अन्य ख्वाहिशों के मामले में जहां-जहां बात नहीं बनी वहां वहां से खिसक लिए।